वैदिक काल ( भाग 2 ) वैदिक साहित्य

यह पोस्ट हमारी पिछली पोस्ट वैदिक काल ( भाग 1) का अगला भाग है।  हमारे ब्लॉग samanya gyan hindi me के द्वारा हम इस पोस्ट में वैदिक काल के साहित्य की जानकारी हिन्दी में देने का प्रयास किया गया है। वैदिक साहित्य उस साहित्य को कहा जाता है जिसकी रचना वैदिक काल में हुई वैदिक साहित्य निम्न हैं -

ऋग्वेद

ऋग्वेद की भाषा पद्यात्मक है
ऋग्वेद में 10 मण्डल 1020 स्लोक 10600 मंत्र है ।
2 से 7 तक के मण्डल को प्रचीन माना जाता है।
9 वे मण्डल की रचना सोम देवता से सम्बन्धित मंत्रों के आधार पर हुई।
पहला तथा 10 वॅा मण्डल सबसे बाद में जोड़ा गया।
10 वे मण्डल में पुरुष सूक्त का वर्णन मिलता है ।
10 वे मण्डल में पुरुष सूक्त में विराट पुरुष द्वारा वर्णों की उत्पत्ति का वर्णन किया गया है जिसके अनुसार विराट पुरुष के मुख से ब्राह्मणों की भुजाओं से क्षत्रीयो की उदर से वेश्य की  तथा पैरों से शूद्रों की उत्पत्ति हुई।
गायत्री मंत्र ऋग्वेद से लिया गया है।
असतो मा सद्गमय वाक्य भी ऋग्वेद से लिया गया है

यजुर्वेद

यजुर्वेद की रचना तीसरे वेद के रूप में हुई।
यजु का अर्थ होता है - यज्ञ।
यह एक मात्र ऐसा वेद है जो गद्य एवं पद्य दोनों में है
इस वेद में यज्ञों के नियम मंत्र तथा प्रार्थनाएं आदि हैं।
यजुर्वेद के दो भाग हैं ' शुक्ल यजुर्वेद ' एवं ' कृष्ण यजुर्वेद ' ।

सामवेद

सामवेद से ही भारतीय संगीत की उत्पत्ति मानी जाती है यह ग्रंथ भारतीय संगीत का जनक माना जाता है।
इसे गाने वाले को उद्गाव कहते हैं ।
सामवेद में 1000 संहिताएं थी वर्तमान में केवल तीन संहिताएं उपलब्ध है - कौथुम, राणारणीय एवं जैमिनीय। कौथुम संहिता अधिक प्रचलित है।
सामवेद में 1810 मंत्र है जिसमें से 75 को छोड़कर सभी ऋग्वेद से लिया गया है।

अथर्ववेद

यह चौथा वेद हैं ।
अथर्ववेद में तंत्र - मंत्र, भूत - प्रेत, वशीकरण, जादू टोने, धर्म एवं रोग निवारण आदि के मंत्र है
अथर्ववेद में 731 सूक्तों है, जिसमें लगभग 6000 मंत्र है
पहले के तीनों वेद का विभाजन मण्डल में है जबकि अथर्ववेद का विभाजन ' काण्डों में है
इस वेद का अधिकांश भाग जादूटोना पर आधारित है। इसमें भी गद्य एवं पद्य का प्रयोग किया गया है।
 वेदों के उपवेद और उनके रचनाकार
1. ऋग्वेद  - आयुर्वेद  ( चिकित्सा शास्त्र से संबंधित ) रचनाकार - ऋषि धनवन्तरि।
2. यजुर्वेद - धनुर्वेद ( युद्ध कला से संबंधित ) रचनाकार - विश्वामित्र।
3. सामवेद - गन्धर्वेद ( कला एवं संगीत से संबंधित ) रचनाकार- भरतमुनी।
4. अथर्ववेद - शिल्पवेद ( भवन निर्माण की कला से संबंधित ) रचनाकार - विश्वकर्मा।

ब्राह्मण ग्रंथ
वेदों को समझने के लिए ब्राह्मण ग्रंथ की रचना की गई। ब्राह्मण ग्रंथ वेदों के महत्वपूर्ण अंग है, प्रत्येक वेद के कुछ ब्राह्मण ग्रंथ है। इनकी रचना गद्य में की गई है। ब्राह्मण ग्रंथ इस प्रकार है -
ऋग्वेद - कौषितकि और ऐतरेय।
यजुर्वेद - तैतिरीय और शतपथ।
सामवेद - पंचविश, जैमिनीय और षड्विंश।
अथर्ववेद - गोपथ।
आरण्यक
आरण्यक ग्रंथ जंगल के शांत वातावरण में वनों के बीच में लिखे गए थे एवं उनका अध्ययन भी वनों में ही किया जाता था। आरण्यक शब्द 'अरण्य' से बना है जिसका अर्थ जंगल या वन होता है। ये दार्शनिक ग्रंथ कहलाते हैं। आरण्यक एवं उपनिषद् वेदों के अंतिम भाग कहलाते हैं इसलिए इन्हें ' वेदांत ' भी कहा जाता है।
उपनिषद
उपनिषद का अर्थ उस विद्या से है जो गुरु के समीप बैठकर सीखा जाता है। उपनिषदों की व्याख्या भारतीय दर्शन का आधार है। उपनिषद वैदिक साहित्य का अंतिम भाग हैं इसलिए इन्हें भी ' वेदांत ' कहा गया है। उपनिषदों की संख्या 108 है।
वेदांग
वेदों का अर्थ समझने के लिए इनकी रचना साधारण संस्कृत भाषा में की गई। वेदांग को श्रुति भी कहा जाता है। इनकी संख्या 6 हैं।
( 1 ) - शिक्षा ,( 2 ) - कल्प , ( 3 ) - व्याकरण, (4 ) - निरुक्त, ( 5 ) - छन्द, ( 6 ) - ज्योतिष।
दर्शन एवं उनके प्रवर्तक
सांख्य दर्शन - कपिल मुनि
योग दर्शन - पतंजली
वैशेषिक - कणाद
न्याय दर्शन - गौतम
पूर्व मीमांसा - जैमिनी
उत्तर मीमांसा - बदरायण ( व्यास )
महापुराण
पुराणों की कुल संख्या 18 हैं। मत्स्य पुराण सर्वाधिक प्रचीन एवं प्रमाणिक पुराण है , इसमें विष्णु के दस अवतारों का  वर्णन है।
महाकाव्य
महाभारत एवं रामायण दो महाकाव्य है। महाभारत की रचना महर्षि व्यास ने की थी। महाभारत का पुराना नाम जयसंहिता है।यह विश्व का सबसे बड़ा महाकाव्य है।
रामायण की रचना महर्षि वाल्मीकि ने की थी, इस महाकाव्य को चतुर्विशति साहस्त्री संहिता भी कहा जाता है।
----------------------
Previous
Next Post »

2 comments

Click here for comments
8 मई 2016 को 1:01 pm बजे × इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
avatar
admin
19 दिसंबर 2016 को 2:27 pm बजे ×

सर क्या आप मुझे वैदिक काल , उत्तर वैदिक काल , मध्य काल में नारी की स्तिथि के ऊपर कोई लेख उपलब्ध करवा सकते हैं
मैं एक रिसर्च स्कॉलर हूं

Reply
avatar
admin
Thanks for your comment